पढ़ाई - लड़ाई
पढ़ाई लड़ाई ज़िंदाबाद के नारे में सराबोर है देश, हर तरफ छात्र प्रदर्शन नजर आ रहे हैं.. बात जेएनयू की फीस के बढ़ने से शुरू होते होते.. आईआईएमसी की फ़ीस की बढ़ोतरी तक गई..! तमाम सरकारी संस्थान जो कि टैक्स के पैसों से चलती है उनकी फीस बढ़ाई जा रही है बात यहां थी, तो फ़ीस पहले क्या थी अब क्या है का डाटा मैं नहीं दे रही पर हां सिक्षा आम आदमी के हाथों से दूर हो रही इसपर कुछ सहमत हो सकती हूं, आम कौन जिनकी पारिवारिक कमाई इन विश्वविद्यालयों की फीस से बहुत बहुत कम है.. क्या है ना अपने देश में दो तरह के गरीब हैं एक जो सच में गरीब हैं और दूसरे जिनको कागजों ने बना रखा है तो पूरे प्रदर्शन का सवाल यहां आकर अटक जाता है के क्यों ना सब्सिडी सिस्टम लाया जाए जो जरूरतमंद है उसे है सहयोग मिले ना की इस तरह की मुफ्तखोरी चलती रहे आप 25,000 रुपए देकर स्कूलों में पढ़ के आते हैं और चाहते हैं के 2,000 -4,000 में ग्रेजुएशन हो जाए तो ये तो संभव नहीं होगा, ये लोग नाईक के जूते पहन लेते हैं, टाइटन की घड़ी मिल जाती है, पूमा की जैकेट मिल जाती है घर की काम कमाई में बस कॉलेज की फीस नहीं भरी जाती...